रघुनाथ पांडवानी सांचा ज्योतिष केंद्र में आपका स्वागत है
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रघुनाथ पांडवानी सांचा ज्योतिष केंद्र में आपका स्वागत है

भारत की पारंपरिक ज्योतिषीय विधाओं में उत्तराखंड की पाण्डवानी सांचा विद्या का विशेष स्थान है। यह केवल भविष्यवाणी की एक प्रणाली नहीं है, बल्कि इसमें आध्यात्मिकता, कर्मकांड और मंत्र सिद्धि का अद्भुत समावेश होता है। उत्तराखंड के बडकोट उत्‍तरकाशी में स्थित रघुनाथ पांडवानी सांचा ज्योतिष केंद्र इस प्राचीन विद्या के माध्यम से लोगों के जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने, मार्गदर्शन देने और धर्म-संस्कृति को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है।

रघुनाथ पांडवानी सांचा ज्योतिष केंद्र में प्राचीन पाण्डवानी सांचा विद्या का उपयोग कर ज्योतिषीय विश्लेषण और आध्यात्मिक समाधान दिए जाते हैं। इस विधा की कुछ प्रमुख विशेषताएँ हैं

  • जन्मकुंडली और ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण।
  • पौराणिक संकेतों और ज्योतिषीय गणनाओं के माध्यम से जीवन की समस्याओं के समाधान।
  • धार्मिक अनुष्ठानों और कर्मकांडों द्वारा लोककष्ट निवारण।
  • विशेष ज्योतिषीय उपायों और साधनाओं द्वारा नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करना।

रघुनाथ पांडवानी सांचा ज्योतिष केंद्र में की जाने वाली सेवाएँ - रघुनाथ पांडवानी सांचा ज्योतिष केंद्र में पाण्डवानी सांचा विद्या के माध्यम से विभिन्न समस्याओं का समाधान निम्नलिखित विधियों से किया जाता है

  • जन्मकुंडली एवं ग्रह दोष निवारण - व्यक्ति की जन्मपत्रिका देखकर ग्रहों की दशा और महादशा का विश्लेषण। यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल दोष, शनि दोष, राहु-केतु दोष आदि होते हैं, तो पाण्डवानी सांचा विद्या के अनुसार उनके समाधान बताए जाते हैं। विशेष अनुष्ठान, पूजा और मंत्रों के माध्यम से दोष निवारण किया जाता है।
  • वास्तु दोष निवारण - घर, व्यापार स्थल, भूमि आदि में यदि किसी प्रकार का वास्तु दोष होता है, तो पाण्डवानी सांचा विद्या के माध्यम से उसका निदान किया जाता है। - विशेष पूजा-अनुष्ठान और यज्ञों द्वारा नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर सकारात्मकता लाई जाती है।
  • पारिवारिक एवं वैवाहिक समस्या समाधान - विवाह में बाधा, दांपत्य जीवन में अशांति, संतान प्राप्ति में कठिनाई जैसी समस्याओं का समाधान किया जाता है।- पाण्डवानी सांचा विद्या के अनुसार विवाह योग, कुंडली मिलान और विशेष पूजा विधियों द्वारा सुखी दांपत्य जीवन के उपाय बताए जाते हैं।
  • व्यापार, नौकरी एवं आर्थिक समस्या समाधान - व्यापार में हानि, आर्थिक कष्ट या नौकरी में प्रमोशन न होने जैसी समस्याओं को पाण्डवानी ज्योतिष के अनुसार देखा जाता है।- विशेष ग्रहों की शांति और कर्मकांडों द्वारा समृद्धि हेतु उपाय किए जाते हैं।
  • रोग निवारण एवं आरोग्य प्राप्ति - कई बार व्यक्ति लगातार बीमार रहता है, लेकिन उसे सही निदान नहीं मिल पाता। - पाण्डवानी सांचा विद्या के अनुसार रोग के ज्योतिषीय कारणों का पता लगाया जाता है। - विशेष मंत्रों, यज्ञों और हवन के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ के उपाय किए जाते हैं।
  • तांत्रिक बाधा एवं नकारात्मक ऊर्जाओं का निवारण - यदि किसी व्यक्ति को किसी प्रकार की तांत्रिक बाधा, बुरी नज़र या नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव हो तो उसे विशेष पूजा-पाठ और अनुष्ठान से दूर किया जाता है। - भगवती आराधना, दुर्गा सप्तशती पाठ, महामृत्युंजय जाप और विशेष यंत्रों के माध्यम से सुरक्षा प्रदान की जाती है।

पाण्डवानी सांचा विद्या का आध्यात्मिक महत्व

रघुनाथ पांडवानी सांचा ज्योतिष केंद्र में यह विद्या केवल समस्याओं का समाधान देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति को आत्मज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने में भी सहायक होती है। - यह विधा जीवन के गूढ़ रहस्यों को उजागर कर जीवन के सच्चे अर्थ को समझने में सहायता करती है। - व्यक्ति को धर्म, सत्य, कर्म और भाग्य के संबंध में सही दृष्टिकोण देती है। आध्यात्मिक साधना और साधकों के लिए यह ध्यान, पूजा और उपासना का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।

रघुनाथ पांडवानी सांचा ज्योतिष केंद्र में प्रयुक्त प्रमुख अनुष्ठान एवं साधनाएँ

  • श्री विष्णु सहस्त्रनाम पाठ - यह अनुष्ठान भगवान विष्णु के 1000 नामों का उच्चारण करके किया जाता है, जिससे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह खासतौर पर मानसिक शांति और समृद्धि के लिए किया जाता है।
  • महामृत्युंजय जाप एवं रुद्राभिषेक - यह विशेष रूप से रोगों और कष्टों को दूर करने के लिए किया जाता है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप और रुद्राभिषेक से जीवन में दीर्घायु, स्वास्थ्य और कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
  • शनि शांति अनुष्ठान - जब किसी व्यक्ति के ऊपर शनि का बुरा प्रभाव हो या साढ़े साती का समय हो, तब शनि शांति अनुष्ठान किया जाता है। यह अनुष्ठान शनि दोष और साढ़े साती के प्रभाव को कम करने में मदद करता है।
  • नवग्रह शांति यज्ञ - यह यज्ञ सभी नौ ग्रहों की शांति और अनुकूलता के लिए किया जाता है। ग्रहों के कष्टों और दोषों को निवारण के लिए यह महत्वपूर्ण होता है।
  • कुंभकरण तपस्या एवं अनुष्ठान - शत्रु बाधा, मानसिक तनाव और आत्मशक्ति में वृद्धि के लिए यह अनुष्ठान किया जाता है। यह विशेष रूप से शत्रु से रक्षा और आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक है।
  • पितृ तर्पण एवं श्राद्ध अनुष्ठान - पूर्वजों के आत्मा की शांति और पुण्य के लिए यह अनुष्ठान किया जाता है। यह विशेष रूप से पितृ दोष निवारण के लिए किया जाता है और परिवार में सुख-शांति का माहौल बनाने के लिए लाभकारी होता है।
  • हनुमान चालीसा पाठ - संकटों से उबरने के लिए और मानसिक शक्ति बढ़ाने के लिए।
  • गंगा आरती - जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति के लिए।
  • शिव रुद्राक्ष जाप - भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और शांति के लिए।
  • माँ दुर्गा पूजा - शत्रु पर विजय पाने और मानसिक बल बढ़ाने के लिए।
  • गणेश पूजन - विघ्नों और परेशानियों से मुक्ति के लिए।
  • स्वस्थ्य एवं समृद्धि के लिए लक्ष्मी पूजा - आर्थिक समृद्धि और घर में लक्ष्मी का वास करने के लिए।
  • कृष्ण मंत्र जाप - मानसिक शांति और सफलता पाने के लिए।
  • विवाह योग्यतानुसार पूजा - विवाह में अड़चनों को दूर करने के लिए।
  • मंगल ग्रह शांति पूजा - मंगल ग्रह से जुड़ी समस्याओं को हल करने के लिए।
  • गायत्री मंत्र जाप - आत्मिक उन्नति और समृद्धि के लिए।
  • कुंडलिनी जागरण साधना - आत्मा की शक्ति को जाग्रत करने के लिए।
  • ब्रह्म मुहूर्त में साधना - दिन की शुरुआत में मानसिक शांति के लिए।
  • आशीर्वाद पूजा - भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए।
  • सप्तशती पाठ - दुर्गा सप्तशती के पाठ से रक्षात्मक शक्तियों का संचार होता है।
  • श्री यंत्र पूजा - लक्ष्मी के घर में वास के लिए।
  • शुद्धि और मानसिक तनाव दूर करने के लिए ध्यान साधना - आत्मा और शरीर की शुद्धि के लिए।
  • व्रत एवं उपवासा अनुष्ठान - तात्कालिक समस्याओं का समाधान एवं पुण्य प्राप्ति हेतु।
  • नक्षत्र शांति यज्ञ - जन्म कुंडली के नक्षत्र दोषों को दूर करने के लिए।
  • ब्रह्मा पूजा - ज्ञान की प्राप्ति और मानसिक स्पष्टता के लिए।
  • समुद्र मंथन पूजा - जीवन के समृद्धि और शांति के लिए।
  • पंचमुखी हनुमान पूजा मानसिक बल और शारीरिक शक्ति के लिए।
  • शत्रु नाशक पूजा - शत्रु से मुक्ति और शांति के लिए।
  • माँ सरस्वती पूजा - विद्या और ज्ञान में वृद्धि के लिए।
  • स्मरण मंत्र जाप - नियमित रूप से भगवान के नाम का स्मरण करके मानसिक शांति और समृद्धि के लिए।

रघुनाथ पांडवानी सांचा ज्योतिष केंद्र की विशेषताएँ

  • पौराणिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण - यहाँ धार्मिक अनुष्ठानों को वैज्ञानिक आधार पर समझाकर किया जाता है।
  • सटीक भविष्यवाणी एवं समाधान - कुंडली आधारित विश्लेषण द्वारा सटीक उपाय बताए जाते हैं।
  • आध्यात्मिक और मानसिक शांति - न केवल भौतिक समस्याओं का समाधान, बल्कि मानसिक एवं आत्मिक शांति प्राप्ति के उपाय भी किए जाते हैं।

रघुनाथ पांडवानी सांचा ज्योतिष केंद्र में पाण्डवानी सांचा विद्या के माध्यम से न केवल ज्योतिषीय समाधान प्रदान किए जाते हैं, बल्कि व्यक्ति को आध्यात्मिक जागृति की ओर भी प्रेरित किया जाता है। यह केंद्र उन सभी के लिए मार्गदर्शक है, जो जीवन की समस्याओं से जूझ रहे हैं और सही दिशा की तलाश कर रहे हैं।

पाण्डवानी सांचा विद्या की इस अद्भुत परंपरा को जीवित रखना हमारा कर्तव्य है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इसके लाभ प्राप्त कर सकें। यदि आप भी अपने जीवन की समस्याओं का समाधान चाहते हैं, तो रघुनाथ पांडवानी सांचा ज्योतिष केंद्र में पाण्डवानी ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकते हैं।

रघुनाथ पांडवानी सांचा ज्योतिष केंद्र" में ज्योतिष के माध्यम से महत्वपूर्ण समस्याओं और उनके निदान

  • विवाह में विलंब : मांगलिक दोष या कुंडली में अन्य दोषों के कारण विवाह में देरी हो सकती है। उपाय के रूप में विशेष पूजा, रत्न धारण, या मंत्र जाप सुझाए जाते है
  • वैवाहिक जीवन में समस्याएँ : पति-पत्नी के बीच अनबन या असहमति के लिए कुंडली मिलान और ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण किया जाता है, और समाधान के लिए ज्योतिषीय परामर्श दिया जाता है।
  • संतान प्राप्ति में बाधा : कुंडली में संतान सुख के योग की कमी होने पर विशेष पूजा, रत्न धारण, या अन्य उपाय सुझाए जाते हैं।
  • स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ : ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति के कारण स्वास्थ्य में बाधाएँ आ सकती हैं, जिनके लिए विशेष अनुष्ठान या रत्न धारण का सुझाव दिया जाता है।
  • करियर में रुकावटें : नौकरी में परेशानी या प्रमोशन में देरी के लिए कुंडली का विश्लेषण कर उचित उपाय बताए जाते हैं।
  • आर्थिक समस्याएँ : वित्तीय संकट या धन हानि के मामलों में ग्रह दोष निवारण के लिए विशेष पूजा या उपाय सुझाए जाते हैं।
  • शत्रु बाधा : शत्रुओं से परेशानियों के लिए तंत्र-मंत्र या विशेष अनुष्ठानों का सहारा लिया जाता है।
  • विदेश यात्रा में बाधा : विदेश जाने में अड़चनों के लिए कुंडली में ग्रहों की स्थिति देखकर उपाय बताए जाते हैं।
  • शिक्षा में समस्याएँ : पढ़ाई में मन न लगना या परीक्षा में असफलता के लिए ज्योतिषीय उपाय सुझाए जाते हैं।
  • प्रेम संबंधी समस्याएँ : प्रेम में असफलता या संबंधों में तनाव के लिए कुंडली का विश्लेषण कर समाधान दिए जाते हैं।
  • मांगलिक दोष : मांगलिक दोष के कारण वैवाहिक जीवन में समस्याएँ आ सकती हैं, जिनके निवारण के लिए विशेष पूजा या उपाय किए जाते हैं।
  • पितृ दोष : पितरों की अशांत आत्माओं के कारण जीवन में बाधाएँ आती हैं, जिनके निवारण के लिए विशेष श्राद्ध या तर्पण कर्म किए जाते हैं।
  • कालसर्प योग : इस योग के कारण जीवन में विभिन्न समस्याएँ हो सकती हैं, जिनके निवारण के लिए विशेष पूजा की जाती है।
  • वास्तु दोष : घर या कार्यस्थल में वास्तु दोष के कारण समस्याएँ आती हैं, जिनके समाधान के लिए वास्तु परामर्श और उपाय सुझाए जाते हैं।
  • नजर दोष : बुरी नजर के प्रभाव से बचने के लिए विशेष उपाय और पूजा की जाती है।
  • दांपत्य जीवन में असंतोष : पति-पत्नी के बीच असंतोष के लिए कुंडली मिलान और उपाय सुझाए जाते हैं।
  • संतान के स्वास्थ्य में समस्या : बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए ज्योतिषीय उपाय बताए जाते हैं।
  • धन हानि : अचानक धन हानि के मामलों में ग्रह दोष निवारण के उपाय किए जाते हैं।
  • कर्ज से मुक्ति : कर्ज से छुटकारा पाने के लिए विशेष अनुष्ठान और उपाय सुझाए जाते हैं।
  • कोर्ट-कचहरी के मामले : कानूनी मामलों में सफलता के लिए ज्योतिषीय परामर्श और उपाय किए जाते हैं।
  • व्यापार में नुकसान : व्यापार में हानि के लिए कुंडली का विश्लेषण कर उपाय बताए जाते हैं।
  • मानसिक तनाव : मानसिक शांति के लिए ग्रह दोष निवारण के उपाय सुझाए जाते हैं।
  • शारीरिक कमजोरी : स्वास्थ्य सुधार के लिए ज्योतिषीय उपाय और रत्न धारण का सुझाव दिया जाता है।

ज्योतिष शास्त्र में, कुंडली (या जन्म कुंडली) किसी व्यक्ति के जन्म के समय ग्रहों और राशियों की स्थिति को दर्शाता है। कुंडली 12 भावों (घरों) में विभाजित होता है, जिनमें से प्रत्येक भाव जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है।

  • प्रथम भाव (लग्न भाव) : यह भाव व्यक्ति के व्यक्तित्व, शारीरिक बनावट, और स्वभाव को दर्शाता है। यह आत्म-सम्मान, स्वास्थ्य, और व्यक्तिगत आदतों का भी प्रतिनिधित्व करता है।
  • द्वितीय भाव (धन भाव) : यह भाव धन, परिवार, वाणी, और भौतिक संपत्ति से संबंधित होता है। यह आर्थिक स्थिरता और प्राथमिकताओं को दर्शाता है।
  • तृतीय भाव (पराक्रम भाव) : यह भाव भाई-बहन, साहस, पराक्रम, और संचार कौशल का प्रतिनिधित्व करता है। यह मानसिक साहस और तात्कालिक परिवेश को दर्शाता है।
  • चतुर्थ भाव (सुख भाव) : यह भाव माता, सुख-सुविधाएँ, संपत्ति, और भावनात्मक स्थिरता से संबंधित होता है। यह घरेलू जीवन के सुखों को दर्शाता है।
  • पंचम भाव (पुत्र भाव) : यह भाव संतान, शिक्षा, रचनात्मकता, और प्रेम संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है। यह बुद्धि, विद्या, और दैहिक सुख को भी दर्शाता है।
  • षष्ठ भाव (रिपु भाव) : यह भाव शत्रु, रोग, ऋण, और चुनौतियों से संबंधित होता है। यह संघर्ष और दैनिक जीवन के कार्यों का प्रतिनिधित्व करता है।
  • सप्तम भाव (जाया भाव) : यह भाव विवाह, साझेदारी, और रिश्तों का प्रतिनिधित्व करता है। यह वैवाहिक जीवन और व्यापारिक साझेदारियों को दर्शाता है।
  • अष्टम भाव (आयु भाव) : यह भाव आयु, मृत्यु, रहस्यमय विषयों, और अचानक होने वाली घटनाओं से संबंधित होता है। यह परिवर्तन और गहरी आंतरिक प्रक्रियाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
  • नवम भाव (धर्म भाव) : यह भाव धर्म, भाग्य, उच्च शिक्षा, और लंबी यात्राओं का प्रतिनिधित्व करता है। यह आध्यात्मिकता और उच्च अध्ययन को दर्शाता है।
  • दशम भाव (कर्म भाव) : यह भाव करियर, पेशा, सामाजिक प्रतिष्ठा, और आजीविका से संबंधित होता है। यह व्यक्ति की सामाजिक स्थिति और कार्यक्षेत्र को दर्शाता है।
  • एकादश भाव (लाभ भाव) : यह भाव लाभ, इच्छाओं की पूर्ति, मित्र, और सामाजिक नेटवर्क का प्रतिनिधित्व करता है। यह उम्मीदों और दीर्घकालिक लक्ष्यों को दर्शाता है।
  • द्वादश भाव (व्यय भाव) : यह भाव व्यय, हानि, मोक्ष, और अलगाव से संबंधित होता है। यह अवचेतन मन, सपने, और आध्यात्मिक मुक्ति को दर्शाता है।
  • इन 12 भावों के माध्यम से, कुंडली व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करने में सहायता करती है, जिससे उसके व्यक्तित्व, संबंधों, करियर, और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों के बारे में समझ प्राप्त होती है।

मोर पंख से झाड़े लगाने की प्रक्रिया

मोर पंख से झाड़े लगाने की प्रक्रिया में विभिन्न मंत्रों का उपयोग किया जाता है, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में सहायक होते हैं। इन मंत्रों का चयन व्यक्ति की व्यक्तिगत आस्था, परंपरा और समस्या के अनुसार किया जाता है।

कुछ सामान्यतः प्रयुक्त मंत्रों का विवरण

गायत्री मंत्र: यह मंत्र सार्वभौमिक रूप से शुद्धिकरण और सकारात्मक ऊर्जा के लिए प्रयोग किया जाता है। मोर पंख से झाड़ा लगाते समय, गायत्री मंत्र का उच्चारण करते हुए व्यक्ति के चारों ओर घड़ी की सुई की दिशा में (क्लॉकवाइज) और विपरीत दिशा में (एंटी-क्लॉकवाइज) घुमाया जाता है। यह प्रक्रिया 11 बार दोहराई जाती है।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥

दुर्गा मंत्र: बुरी नजर या नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए दुर्गा मंत्र का जाप करते हुए मोर पंख से झाड़ा लगाया जाता है। यह मंत्र विशेष रूप से बच्चों की नजर उतारने में प्रभावी माना जाता है।

ॐ दुं दुर्गायै नमः॥

शाबर मंत्र: कुछ परंपराओं में, विशेष शाबर मंत्रों का उपयोग मोर पंख से झाड़ा लगाने के दौरान किया जाता है। यह मंत्र तंत्र शास्त्र में वर्णित होते हैं और विशेष उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त होते हैं। इन मंत्रों का सही उच्चारण और प्रयोग गुरु या विशेषज्ञ की सलाह से ही करना चाहिए।

ॐ नमः कालिका महाकालिका, दुश्मन का नाश कर, मोर पंख से झाड़ा कर, सब कष्ट दूर कर॥

नोट : शाबर मंत्रों का प्रयोग सावधानीपूर्वक और विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए, क्योंकि इनका गलत प्रयोग हानिकारक हो सकता है। मंत्रों का चयन और उनका सही उच्चारण महत्वपूर्ण है, इसलिए किसी भी मंत्र का प्रयोग करने से पहले योग्य गुरु या विशेषज्ञ से परामर्श करना उचित होता है। यह सुनिश्चित करता है कि प्रक्रिया सुरक्षित और प्रभावी हो।

चावल के दानों के माध्यम से भविष्यवाणी

प्रदेश की पहाड़ी क्षेत्रों में 'देववाणी' नामक एक प्राचीन परंपरा प्रचलित है, जिसमें चावल के दानों के माध्यम से भविष्यवाणी की जाती है। यह परंपरा स्थानीय लोगों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है, जो अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों में देवता की अनुमति और मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए इस विधि का सहारा लेते हैं।

देववाणी की प्रक्रिया

  • श्रद्धालु की मनोकामना : श्रद्धालु अपने आराध्य देवता के समक्ष नतमस्तक होकर अपनी मनोकामना व्यक्त करता है। यह मनोकामना व्यक्तिगत सुख-समृद्धि, खुशहाली या किसी विशेष कार्य से संबंधित हो सकती है।
  • पुजारी द्वारा चावल का चयन : मनोकामना व्यक्त करने के बाद, देवता के पुजारी तीन उंगलियों से बिना गिने चावल के कुछ दाने उठाते हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि पुजारी चावल के दानों को गिनकर नहीं उठाते, बल्कि सहज रूप से तीन उंगलियों का उपयोग करते हैं।
  • चावल का श्रद्धालु की हथेली पर रखना : पुजारी द्वारा उठाए गए चावल के दानों को श्रद्धालु की हथेली पर रखा जाता है।
  • दानों की संख्या के आधार पर भविष्यवाणी : शुभ संकेत: यदि हथेली पर 3, 5, 7 या 9 दाने आते हैं, तो इसे शुभ संकेत माना जाता है, जो दर्शाता है कि देवता ने मनोकामना स्वीकार कर ली है और कार्य सिद्ध होगा।
  • अशुभ संकेत : यदि 2, 4, 6 या 8 दाने आते हैं, तो इसे अशुभ संकेत माना जाता है, जो दर्शाता है कि देवता ने मनोकामना स्वीकार नहीं की है।
  • फूल का महत्व : यदि चावल के दानों के साथ फूल भी आ जाएं, तो उनकी गणना नहीं की जाती। फूल को विशेष आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।

यह परंपरा प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्थाओं को प्रतिबिंबित करती है। स्थानीय लोग अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों में देवता की अनुमति और मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए इस विधि का सहारा लेते हैं। यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि समुदाय की एकता और सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत करती है। इस प्रकार, चावल के दानों के माध्यम से भविष्यवाणी की यह विधि प्रदेश की पहाड़ी क्षेत्रों की एक विशेष परंपरा है, जो वहां की सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्थाओं को प्रतिबिंबित करती है।