स्वास्थ्य मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसके बिगड़ने से जीवन में तनाव, चिंता और असंतुलन उत्पन्न हो सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शरीर के स्वास्थ्य पर ग्रहों की स्थिति का गहरा प्रभाव पड़ता है। यदि कुंडली में ग्रहों की स्थिति अनुकूल नहीं होती, तो यह विभिन्न शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकता है। ज्योतिषी उपायों से इन ग्रह दोषों को शांति दी जा सकती है और शरीर की सेहत में सुधार लाया जा सकता है।
स्वास्थ्य समस्याओं के ज्योतिषीय कारण मुख्य रूप से ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभाव पर आधारित होते हैं। हर ग्रह का शरीर के विशिष्ट अंगों पर प्रभाव पड़ता है, और जब ग्रह कमजोर या अशुभ होते हैं, तो वे शारीरिक समस्याओं को जन्म दे सकते हैं।
ज्योतिष में ग्रह दोषों के निवारण के लिए कई उपाय सुझाए गए हैं, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
सूर्य की पूजा से शरीर में ऊर्जा और शक्ति का संचार होता है। यदि सूर्य कमजोर हो तो यह हृदय और रक्त से संबंधित समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।
सूर्य नमस्कार और ऊँ सूर्याय नमः मंत्र का जाप करना सूर्य के प्रभाव को सकारात्मक बनाता है।
प्रतिदिन सूर्योदय के समय तांबे के बर्तन में पानी भरकर सूर्य को अर्पित करें
मानसिक समस्याएं और पेट से संबंधित बीमारियों का ज्योतिषीय कारण चंद्रमा की स्थिति होती है। कमजोर चंद्रमा से चिंता, नींद की कमी, और पेट की समस्याएं हो सकती हैं।
चंद्रमा के लिए मंत्र: "ॐ सोमाय नमः" का जाप करने से चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। - प्रतिदिन रात को चंद्रमा को अर्घ्य दें और दूध का सेवन बढ़ाएं।
मंगल ग्रह शारीरिक स्वास्थ्य और ऊर्जा का कारक है। इसके अशुभ प्रभाव से शारीरिक कमजोरियां और चोटों का खतरा बढ़ता है।
मंगल यंत्र का पूजन और मंगलवार को उपवास रखना मंगल दोष को कम करता है। - हनुमान चालीसा का जाप भी मंगल दोष को दूर करने में सहायक होता है।
बृहस्पति स्वास्थ्य, समृद्धि और जीवन शक्ति का प्रतीक ग्रह है। इसका कमजोर होना स्वास्थ्य की समस्याओं और रोगों का कारण बन सकता है।
बृहस्पति के मंत्र "ॐ बृं बृहस्पतये नमः" का जाप करें।
पीले रंग के कपड़े पहनें और पीले रंग की वस्तुएं दान करें। यह बृहस्पति के प्रभाव को मजबूत करता है।
शनि की कठिन स्थिति से पुरानी बीमारियां, शारीरिक थकावट और मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकता है। शनि के दोष को दूर करने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं।
शनि शांति पूजा और हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करें।
काले तिल और सरसों के तेल का दान करें। यह शनि के प्रभाव को शांत करता है।
राहु और केतु के प्रभाव से असमान्य शारीरिक समस्याएं और मानसिक परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं। इन ग्रहों का प्रभाव मानसिक भ्रम, पेट की बीमारियां और अनिश्चितता उत्पन्न कर सकता है।
राहु-केतु शांति यज्ञ करें और "ॐ रां राहवे नमः" एवं "ॐ कें केतवे नमः" का जाप करें।
राहु और केतु के लिए ताम्बे के पात्र में जल भरकर उसे घर के बाहर रखना शुभ होता है।
स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए घर के वास्तु का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होना चाहिए, ताकि स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
घर के मुख्य द्वार को साफ रखें और उसे सही दिशा में रखें। यह शुद्ध ऊर्जा का प्रवेश करता है।
सोने के कमरे का स्थान सही दिशा में होना चाहिए। शयन कक्ष का स्थान दक्षिण-पश्चिम में होना चाहिए, और सिर का स्थान हमेशा दक्षिण दिशा में रखना चाहिए।
घर में हरियाली और पौधे रखें। यह शुद्ध ऊर्जा का स्रोत होते हैं और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।
स्वास्थ्य समस्याओं का ज्योतिषीय समाधान ग्रहों की स्थिति और उनकी शांति से किया जा सकता है। सही उपायों से शरीर और मन दोनों में संतुलन स्थापित किया जा सकता है। सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बृहस्पति, शनि, राहु और केतु की स्थिति को समझकर उनके उपायों को अपनाकर व्यक्ति अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है और जीवन में खुशहाली और संतुलन ला सकता है।