रघुनाथ पांडवानी सांचा ज्योतिष केंद्र में आपका स्वागत है
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विशेष पूजा-अनुष्ठान, यज्ञ एवं पितृ दोष निवारण अनुष्ठान का महत्व एवं विधि

हिंदू धर्म में विशेष पूजा-अनुष्ठान, यज्ञ एवं पितृ दोष निवारण अनुष्ठान का अत्यधिक महत्व है। ये अनुष्ठान आध्यात्मिक उन्नति, दोष निवारण, पितरों की शांति तथा सुख-समृद्धि के लिए किए जाते हैं। प्रत्येक अनुष्ठान की विधि, उद्देश्य एवं प्रभाव अलग-अलग होते हैं।

विशेष पूजा-अनुष्ठान

विशेष पूजा-अनुष्ठान किसी व्यक्ति, परिवार या समाज के कल्याण के लिए विशिष्ट देवताओं को प्रसन्न करने हेतु किए जाते हैं। कुछ महत्वपूर्ण विशेष पूजा-अनुष्ठान निम्नलिखित हैं—

महालक्ष्मी पूजा

उद्देश्य

धन, वैभव, समृद्धि एवं व्यापार में वृद्धि हेतु।

विधि

  • शुक्रवार को लक्ष्मी जी की मूर्ति/चित्र को स्थापित करें।
  • पंचामृत स्नान, पुष्प अर्पण, दीप जलाना एवं लक्ष्मी स्तोत्र पाठ करें।
  • 16 उपचार विधि से पूजा करें।
  • कन्याओं एवं ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा दें।
रुद्राभिषेक पूजा*

उद्देश्य

समस्त संकट नाश, स्वास्थ्य रक्षा, मानसिक शांति एवं मोक्ष प्राप्ति।

विधि

  • भगवान शिव का अभिषेक जल, दूध, घी, शहद, दही, गंगाजल, पंचामृत आदि से करें।
  • रुद्राष्टाध्यायी या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
  • बेलपत्र, धतूरा, अक्षत एवं सफेद वस्त्र चढ़ाएं।
नवग्रह पूजा

उद्देश्य

ग्रह दोष निवारण, दुर्भाग्य से मुक्ति।

विधि

  • नवग्रहों के प्रतीकात्मक स्वरूप की स्थापना करें।
  • प्रत्येक ग्रह के बीज मंत्र का जाप करें।
  • ग्रह शांति यज्ञ करें एवं विशेष दान करें (जैसे शनि के लिए तिल, राहु के लिए उड़द)।
यज्ञ एवं उनकी महत्ता

यज्ञ भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसमें वेदों में वर्णित विधि से देवताओं को आहुति अर्पित की जाती है। यह वातावरण शुद्ध करने, आध्यात्मिक शक्ति बढ़ाने तथा जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने में सहायक होता है।

अग्निहोत्र यज्ञ

लाभ : स्वास्थ्य, मानसिक शांति, वायुमंडल की शुद्धि।

विधि : प्रातः एवं सायंकाल हवन कुंड में गोबर के कंडे जलाकर गाय के घी एवं हवन सामग्री से आहुति देना।

ग्रह शांति यज्ञ

लाभ : अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम करना, जीवन में शांति लाना।

विधि : विशेष तिथियों पर नवग्रहों से संबंधित मंत्रों का जाप करके हवन करना।

महा मृत्युंजय यज्ञ

लाभ : असाध्य रोगों से मुक्ति, आयु वृद्धि, आध्यात्मिक शक्ति।

विधि : 1,25,000 महामृत्युंजय मंत्र जप एवं 11,000 आहुति सहित हवन करना।

पितृ दोष निवारण अनुष्ठान

यदि जन्म कुंडली में पितृ दोष हो तो व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे - आर्थिक तंगी, वंश वृद्धि में रुकावट, विवाह में बाधा आदि।

पितृ दोष के लक्षण
  • परिवार में बार-बार कष्ट आना।
  • संतानहीनता या संतान सुख में बाधा।
  • घर में बार-बार कलह और मानसिक अशांति।
  • आर्थिक समस्याएँ एवं नौकरी-व्यापार में रुकावट।
पितृ दोष निवारण के उपाय

पितृ तर्पण

  • प्रतिवर्ष श्राद्ध पक्ष (भाद्रपद शुक्ल पक्ष) में तर्पण करें।
  • तिल, कुश, जल एवं पिंड अर्पण करें।
  • पितृ सूक्त पाठ करें एवं ब्राह्मण भोजन कराएं।

नारायण नागबलि पूजा (त्र्यंबकेश्वर, उज्जैन, गया में होती है):

  • पितृ दोष की शांति के लिए यह विशेष अनुष्ठान है।
  • तीन दिन तक वेदों के मंत्रों से पूजा एवं हवन किया जाता है।

पितृ यज्ञ

  • हवन कुंड में पितरों के निमित्त आहुति दें।
  • विशेष मंत्रों का उच्चारण करें (ॐ पितृभ्यः स्वाहा)।

पीपल एवं बरगद वृक्ष की पूजा

  • पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएँ।
  • शनिवार को पीपल पर जल अर्पण करें और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें।