हिंदू धर्म में विशेष पूजा-अनुष्ठान, यज्ञ एवं पितृ दोष निवारण अनुष्ठान का अत्यधिक महत्व है। ये अनुष्ठान आध्यात्मिक उन्नति, दोष निवारण, पितरों की शांति तथा सुख-समृद्धि के लिए किए जाते हैं। प्रत्येक अनुष्ठान की विधि, उद्देश्य एवं प्रभाव अलग-अलग होते हैं।
विशेष पूजा-अनुष्ठान किसी व्यक्ति, परिवार या समाज के कल्याण के लिए विशिष्ट देवताओं को प्रसन्न करने हेतु किए जाते हैं। कुछ महत्वपूर्ण विशेष पूजा-अनुष्ठान निम्नलिखित हैं—
उद्देश्य
धन, वैभव, समृद्धि एवं व्यापार में वृद्धि हेतु।
विधि
उद्देश्य
समस्त संकट नाश, स्वास्थ्य रक्षा, मानसिक शांति एवं मोक्ष प्राप्ति।
विधि
उद्देश्य
ग्रह दोष निवारण, दुर्भाग्य से मुक्ति।
विधि
यज्ञ भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसमें वेदों में वर्णित विधि से देवताओं को आहुति अर्पित की जाती है। यह वातावरण शुद्ध करने, आध्यात्मिक शक्ति बढ़ाने तथा जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने में सहायक होता है।
लाभ : स्वास्थ्य, मानसिक शांति, वायुमंडल की शुद्धि।
विधि : प्रातः एवं सायंकाल हवन कुंड में गोबर के कंडे जलाकर गाय के घी एवं हवन सामग्री से आहुति देना।
लाभ : अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम करना, जीवन में शांति लाना।
विधि : विशेष तिथियों पर नवग्रहों से संबंधित मंत्रों का जाप करके हवन करना।
लाभ : असाध्य रोगों से मुक्ति, आयु वृद्धि, आध्यात्मिक शक्ति।
विधि : 1,25,000 महामृत्युंजय मंत्र जप एवं 11,000 आहुति सहित हवन करना।
यदि जन्म कुंडली में पितृ दोष हो तो व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे - आर्थिक तंगी, वंश वृद्धि में रुकावट, विवाह में बाधा आदि।
पितृ तर्पण
नारायण नागबलि पूजा (त्र्यंबकेश्वर, उज्जैन, गया में होती है):
पितृ यज्ञ
पीपल एवं बरगद वृक्ष की पूजा